मन का रहस्य: सरलता में छुपा अनंत जटिलता का संसार
मन—दो अक्षरों का यह छोटा-सा शब्द, सुनने में जितना सहज और कोमल लगता है, अनुभव में उतना ही जटिल, अनगिनत रहस्यों से भरा, और चेतना की गहराइयों में उतरने वाला प्रतीत होता है। यह शब्द न केवल वर्तमान, अतीत और भविष्य को अपने भीतर समेटे हुए है, बल्कि यह स्वप्नों, अनुभूतियों और अज्ञात लोकों की यात्रा का वाहक भी बन जाता है।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 07 जुलाई 2025
99
0
...

मन—दो अक्षरों का यह छोटा-सा शब्द, सुनने में जितना सहज और कोमल लगता है, अनुभव में उतना ही जटिल, अनगिनत रहस्यों से भरा, और चेतना की गहराइयों में उतरने वाला प्रतीत होता है। यह शब्द न केवल वर्तमान, अतीत और भविष्य को अपने भीतर समेटे हुए है, बल्कि यह स्वप्नों, अनुभूतियों और अज्ञात लोकों की यात्रा का वाहक भी बन जाता है।

मन की अनुभूति यदि स्वप्न के माध्यम से भी हो, तो वह केवल भ्रम नहीं—बल्कि किसी सूक्ष्म सत्य का संकेत होती है। मन का मान—अर्थात उसकी गरिमा या उसकी स्थिति का सटीक भान पाना—कल्पनाओं के भी परे है।

मन पर अनादिकाल से मनीषियों, ऋषियों और मनोवैज्ञानिकों ने चिंतन और मनन किया। वेदों से लेकर आधुनिक न्यूरोसाइंस तक, मन को समझने की चेष्टा की गई—कभी उसे चेतन और अवचेतन की परिभाषा में बांधने की कोशिश की गई, तो कभी थ्योरी और मॉडल्स के माध्यम से समझने का प्रयास किया गया। फिर भी, मन का आत्मस्वरूप आज भी अनजान ही है।

मन के विविध रंग

कभी मन का न लगना।

कभी मन का उदास होना।

कभी उल्लास से भर उठना।

कभी शांत, कभी अशांत।

कभी वेदना में डूबा हुआ, तो कभी "मन मयूरी" की तरह नृत्यरत।

मन की यह श्रृंखला अंतहीन है। जैसे ही हम इसे परिभाषित करना चाहते हैं, यह हमारी पकड़ से फिसल जाता है। मन, हर प्रयास पर मुस्कुराता हुआ, अपनी अगली परत और जटिलता दिखा देता है।

न्यूरोसाइंस ने मन के रासायनिक और तंत्रिकीय आधारों को टटोलने का भरसक प्रयास किया है। परंतु मन केवल जैविक तत्वों का मेल नहीं, वह चेतना की एक जीवंत छाया है। यही कारण है कि विज्ञान के सबसे परिष्कृत औजार भी मन के रहस्य के आगे असहाय दिखते हैं।

आधुनिक युग की विडंबना

AI और सुपरकंप्यूटर से लैस आधुनिक मानव ने सोचा था कि वह मन को समझ लेगा, शायद नियंत्रित भी कर लेगा। किंतु जब वह विफल हुआ, तो उसने “नया मन” बनाने का संकल्प ले लिया। ठीक उसी तरह जैसे ऋषि विश्वामित्र ने त्रिशंकु स्वर्ग का निर्माण किया—प्रकृति के सिद्धांतों की अनदेखी करते हुए।

मन की केमिस्ट्री

मन की रसायनशास्त्र बहुत सीधी है—जितने जटिल रासायनिक क्रियाकलाप, उतना ही जटिल मन। जितनी सरलता, उतना ही निर्मल मन।

कुछ उदाहरण इस समझ को और गहरा करते हैं

बच्चे का मन – निश्चल और निर्मल

गोपी का मन – प्रेम और आह्लाद से ओतप्रोत

प्रेयसी का मन – समर्पण और मर मिटने की भावना

कुटला का मन – वासना और लोभ

संत का मन – क्षमा और शांति

राजनेता का मन – रणनीति और षड्यंत्र

इन सबके बीच एक बात स्पष्ट होती है—जितना सहज मन होगा, उससे जुड़ा भाव भी उतना ही सरल और शुद्ध होगा। जटिल भाषा या भाव मन को और उलझा देते हैं, जबकि सरलता ही मन को समझने का प्रथम सोपान है।

तो फिर मन को जाना कैसे जाए?

यह असंभव नहीं, बस साधना का विषय है। हमारा प्राचीन दर्शन सदियों से "मन की उपासना" करता आया है—बस हमने स्वयं उससे दूरी बना ली।

मन को जानने के कुछ सहज उपाय

शांत बैठें, मौन का अभ्यास करें

प्रकृति से जुड़ें

आत्मकेन्द्रित हो जाएं, लेकिन आत्ममुग्ध नहीं

बच्चों जैसी निष्कलंक भावनाओं से मन को रंगें

धैर्य और संतुलन बनाए रखें


ध्यान का अभ्यास करें—धीरे-धीरे, बिना दबाव के

ध्यान के आरंभ में मन बेचैन होगा। जैसे समुद्र की लहरें बार-बार आकर लौटती हैं, वैसे ही विचार उठते रहेंगे। लेकिन जैसे-जैसे अभ्यास गहराएगा, यह हलचल शांत होने लगेगी। आप मन की नज़दीकी को महसूस करने लगेंगे—उसकी भाषा को सुनने के लिए उत्सुक होंगे। मौन में रमण होने लगेगा।

कुछ समय बाद—जब मन की परतें हटेंगी, तो वह दर्पण की तरह साफ़ और निष्कलंक दिखाई देगा। और उस दर्पण में आप ईश्वर के प्रतिबिंब को देखेंगे—not your ego, but the divine presence.

मन केवल विचारों का केंद्र नहीं, वह ईश्वर के अंश का संवाहक है। उसमें परमसत्ता का बोध है।

मन को जानने के लिए आपको रहस्यवाद से गुज़रना पड़ेगा, क्योंकि वह स्वभाव से ही रहस्यमय है। पर यदि आपने एक बार इसे शांति और मौन से स्पर्श कर लिया—तो आप सृष्टि के उस बिंदु से मिलेंगे, जहां आप और परमात्मा के बीच कोई भेद नहीं बचेगा।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Spiritual

See all →
Richa Gupta
सावन में इन चीजों का दान करें, शिवजी होंगे प्रसन्न और बरसाएंगे कृपा
सावन के पवित्र महीने में इन वस्तुओं का दान करने से भगवान शिव होते हैं प्रसन्न। जानिए कौन-कौन सी चीजें दान करने से बरसेगी भोलेनाथ की कृपा।
39 views • 10 hours ago
Sanjay Purohit
गुस्से पर काबू पाने का ज्योतिषीय उपाय: जानिए कौन सा रत्न करेगा आपके क्रोध का शमन
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में गुस्सा, चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव आम समस्या बन गई है। चाहे वह व्यक्तिगत संबंध हों या कार्यस्थल की चुनौतियाँ, मन में उथल-पुथल बनी रहती है। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ खास रत्न ऐसे बताए गए हैं जो गुस्से पर काबू पाने में अद्भुत भूमिका निभाते हैं।
62 views • 2025-07-16
Sanjay Purohit
श्रावण मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व: भगवान शिव की कृपा और शांति प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन
हिंदू धर्म में श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है। इस मास में विशेष रूप से सोमवार के दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और रुद्राभिषेक के द्वारा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। रुद्राभिषेक केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा जागरण, मानसिक शांति और जीवन में संतुलन लाने का एक सशक्त साधन है।
75 views • 2025-07-16
Richa Gupta
शिवलिंग पर जल चढ़ाने से क्या होता है, पढ़ें इसके लाभ
शिवलिंग पर जल चढ़ाने से क्या होता है? जानें इसके धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ, और क्यों यह आपके जीवन को सकारात्मक बनाता है।
65 views • 2025-07-16
Sanjay Purohit
सृजन और सावन: प्रकृति, अध्यात्म और जीवन का गहरा संबंध
भारतीय संस्कृति में सावन केवल वर्षा ऋतु भर नहीं है, बल्कि यह जीवन, सृजन और नवचेतना का प्रतीक भी माना गया है। जब आकाश से बरसात की बूंदें धरती पर गिरती हैं, तो मिट्टी की भीनी खुशबू हर दिशा में फैल जाती है और चारों ओर हरियाली बिखर जाती है। हरे-भरे वृक्ष, खिलते पुष्प, और लहराते खेत—सभी जैसे नवजीवन से भर उठते हैं। यह माह पर्यावरण, अध्यात्म और मानवीय भावनाओं में गहरा तालमेल स्थापित करता है।
71 views • 2025-07-15
Richa Gupta
मंगला गौरी व्रत 2025: पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करें यह उपाय
श्रावण मास के पहले मंगलवार को मनाया जाने वाला मंगला गौरी व्रत आज है। जानिए पूजा विधि, तिथि, महत्व और पारिवारिक समृद्धि के लिए उपाय।
55 views • 2025-07-15
Sanjay Purohit
12 वर्षों बाद वक्री हो रहे देवगुरु बृहस्पति: जीवन, समाज और राशियों पर क्या होगा प्रभाव?
वैदिक ज्योतिष में देवगुरु बृहस्पति का विशेष महत्व माना गया है। बृहस्पति को देवताओं के गुरु कहा जाता है, जो ज्ञान, धर्म, नीति और समृद्धि के कारक हैं। सामान्यतः बृहस्पति का गोचर सीधी चाल में होता है, लेकिन 12 वर्षों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब बृहस्पति वक्री चाल में जाएंगे।
19 views • 2025-07-14
Richa Gupta
सावन का पहला सोमवार 2025: जानें शिव पूजन विधि, मंत्र, भोग और शुभ मुहूर्त
सावन माह के पहले सोमवार का व्रत आज यानि 14 जुलाई को रखा जा रहा है। सावन में सोमवार के व्रत का विशेष महत्व होता है। सावन का पावन और पवित्र महीना भोलेनाथ को समर्पित है।
69 views • 2025-07-14
Sanjay Purohit
श्रावण, सोमवार, शिव और संकल्प: अध्यात्मिक साधना का परम अवसर
भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में श्रावण मास का विशेष महत्व है। इस मास को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। विशेषकर सोमवार के दिन शिव साधना, व्रत एवं जलाभिषेक का विशेष विधान बताया गया है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा भर नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि, मनोबल और संकल्प शक्ति को जाग्रत करने का अवसर भी है।
18 views • 2025-07-13
Richa Gupta
ये 7 उपाय बदल सकते हैं आपकी किस्मत, शनि की साढ़ेसाती में मिलती है राहत
शनि की साढ़ेसाती में जीवन में चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ये 7 उपाय करने से शनि देव की कृपा प्राप्त हो सकती है और भाग्य बदल सकता है।
90 views • 2025-07-12
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
बाजार संस्कृति में गुम होती खुशियां और मस्ती — क्या हम अपनी असली दुनिया भूल रहे हैं?
आज का दौर बाजारवाद और उपभोक्तावाद का है। हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में ग्राहक बन गया है—कभी वस्त्रों का, कभी गैजेट्स का, कभी ऑनलाइन कंटेंट का। पर क्या आपने कभी रुककर सोचा है कि इस भागती-दौड़ती बाजार संस्कृति में हम अपनी असली खुशियों और मस्ती को कहीं खो तो नहीं बैठे हैं?
64 views • 2025-07-17
Sanjay Purohit
श्रावण मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व: भगवान शिव की कृपा और शांति प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन
हिंदू धर्म में श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है। इस मास में विशेष रूप से सोमवार के दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और रुद्राभिषेक के द्वारा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। रुद्राभिषेक केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा जागरण, मानसिक शांति और जीवन में संतुलन लाने का एक सशक्त साधन है।
75 views • 2025-07-16
Sanjay Purohit
सृजन और सावन: प्रकृति, अध्यात्म और जीवन का गहरा संबंध
भारतीय संस्कृति में सावन केवल वर्षा ऋतु भर नहीं है, बल्कि यह जीवन, सृजन और नवचेतना का प्रतीक भी माना गया है। जब आकाश से बरसात की बूंदें धरती पर गिरती हैं, तो मिट्टी की भीनी खुशबू हर दिशा में फैल जाती है और चारों ओर हरियाली बिखर जाती है। हरे-भरे वृक्ष, खिलते पुष्प, और लहराते खेत—सभी जैसे नवजीवन से भर उठते हैं। यह माह पर्यावरण, अध्यात्म और मानवीय भावनाओं में गहरा तालमेल स्थापित करता है।
71 views • 2025-07-15
Sanjay Purohit
ध्रुव तारे की खोज: संतत्व के संकट पर आत्ममंथन
भारतीय जनमानस में संतों का स्थान अनादिकाल से अत्यंत विशेष रहा है। उन्हें केवल धर्मगुरु नहीं, बल्कि ईश्वरतुल्य मान्यता प्राप्त रही। संतों ने समय-समय पर समाज को दिशा दी और जब भी राष्ट्र पर संकट आया, अपने प्राणों की आहुति देने में भी वे पीछे नहीं हटे। संत का व्यक्तित्व उस विराट मौन सरिता की तरह है, जो निरंतर जीवन और जीव को पोषित करती है, स्वयं किसी सत्ता या प्रसिद्धि की इच्छा नहीं रखती।
87 views • 2025-07-11
Sanjay Purohit
शिव और सावन: सनातन धर्म में आत्मा और ब्रह्म का अभिन्न संगम
भारतीय सनातन परंपरा में शिव केवल एक देवता नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय चेतना के प्रतीक हैं। उन्हीं शिव से जुड़ा सावन मास, साधना, भक्ति और तात्त्विक चिंतन का विशेष समय माना जाता है। यह महीना जहां प्रकृति के जल चक्र से जुड़ा है, वहीं आत्मा और परमात्मा के गूढ़ संबंध को भी उद्घाटित करता है।
97 views • 2025-07-11
Sanjay Purohit
भाषा को बंधन नहीं, सेतु बनाए – संघीय ढांचे की आत्मा को समझे
भारत विविधताओं का अद्भुत संगम है—यहां हर कुछ किलोमीटर पर बोली, संस्कृति और रहन-सहन बदल जाता है। इस विविधता के बीच "भाषा" केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि पहचान, स्वाभिमान और संवैधानिक अधिकारों का प्रतीक बन चुकी है। लेकिन जब भाषा को "राष्ट्रवाद" के चश्मे से देखा जाता है और किसी एक भाषा को अन्य पर वरीयता देने की कोशिश होती है, तब यह लोकतंत्र की आत्मा—संघीय ढांचे—को चुनौती देती है।
71 views • 2025-07-08
Sanjay Purohit
मन का रहस्य: सरलता में छुपा अनंत जटिलता का संसार
मन—दो अक्षरों का यह छोटा-सा शब्द, सुनने में जितना सहज और कोमल लगता है, अनुभव में उतना ही जटिल, अनगिनत रहस्यों से भरा, और चेतना की गहराइयों में उतरने वाला प्रतीत होता है। यह शब्द न केवल वर्तमान, अतीत और भविष्य को अपने भीतर समेटे हुए है, बल्कि यह स्वप्नों, अनुभूतियों और अज्ञात लोकों की यात्रा का वाहक भी बन जाता है।
99 views • 2025-07-07
Sanjay Purohit
सनातन धर्म और चातुर्मास: साधना, संयम और आत्मशुद्धि का अनुपम संगम
सनातन धर्म की परंपराएं केवल धार्मिक रीति-रिवाजों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये मानव जीवन को प्रकृति, ब्रह्मांड और आत्मा से जोड़ने वाले आध्यात्मिक सूत्रों का सजीव प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आध्यात्मिक रूप से उन्नत अवधारणा है – चातुर्मास, जिसे सनातन धर्म में आत्मशुद्धि, साधना और ब्रह्मचर्य का स्वर्णकाल माना गया है।
35 views • 2025-07-06
Sanjay Purohit
केमिकल से पकाए फलों का सच: स्वास्थ्य के लिए मीठा ज़हर
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में जब हम स्वास्थ्य को लेकर सजग होते जा रहे हैं, तब हमारे भोजन का सबसे आवश्यक और प्राकृतिक भाग — फल — अब संदेह के घेरे में है। फल, जो कभी जीवन शक्ति और पोषण का प्रतीक माने जाते थे, अब तेजी से मुनाफ़ा कमाने की लालसा में केमिकल से पकाए जा रहे हैं, और यह प्रक्रिया हमारे स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव डाल रही है।
108 views • 2025-07-03
Sanjay Purohit
मनःक्रांति: सोच बदलिए, जीवन स्वयं बदल जाएगा
मनुष्य के भीतर छुपी मनःशक्ति एक ऐसा अमूल्य खजाना है, जिसे समझ पाना और सही दिशा में उपयोग कर पाना जीवन को पूर्णतः रूपांतरित कर सकता है। यह शक्ति न केवल हमारी सोच और व्यवहार को प्रभावित करती है, बल्कि हमारे भाग्य, स्वास्थ्य, सफलता और आध्यात्मिक प्रगति का भी आधार बन सकती है।
102 views • 2025-06-28
...